खून के रिश्ते ही
कर देते हैं
खून रिश्तों का
या
पीते रहते हैं
खून
ताउम्र।
इससे बढ कर दोस्त कोई दूसरा होता नहीं. सब ज़ुदा हो जाएं लेकिन गम ज़ुदा होता नहीं. -मीर
मैं कब
जी पाई
जीवन अपना
मां - बाप
सास - ससुर
पति
बेटे - बहुओं
पोते - पोतियों
के लिए
जीते - जीते ही
बुढा गई हूं
शायद परजन्म में
पुरुष रूप में
जी सकूं
जीवन अपना
मायावती की मालाओं के बहाने.......