16.8.10

उस्ताद शायर पुरुषोत्तम "यकीन" की शायरी: बात होंठों पे चली आए ज़रूरी है क्यादिल में तूफ़ान...

उस्ताद शायर पुरुषोत्तम "यकीन" की शायरी:
बात होंठों पे चली आए ज़रूरी है क्यादिल में तूफ़ान...
: "बात होंठों पे चली आए ज़रूरी है क्यादिल में तूफ़ान ठहर जाए ज़रूरी है क्या कितने अंदाज़ से जज़्बात बयां होते हैंवो इशारों में समझ जाए ज़रूरी ..."

12.8.10

उस्ताद शायर पुरुषोत्तम "यकीन" की शायरी: दस

उस्ताद शायर पुरुषोत्तम "यकीन" की शायरी: दस: "महनत करना ज़िम्मा तेरा, ऎसा क्यूं ऎशपरस्ती उस का हिस्सा, ऎसा क्यूं बरसों पहले देश का नक्शा बदला था अपना घर वैसे का वैसा, ऎसा क्यूं मेरे ..."