5.6.10



        ग  ज़  

ग़म अगर दिल को मिला होता नहीं
ज़िंदगी में कुछ मज़ा होता नहीं


ज़ीस्त रह में है दिल तन्हा तो क्या
हर सफ़र में काफ़िला होता नहीं


हम सदा हालात को क्यों दोष दें
क्या कभी इंसा बुरा होता नहीं


मैं हमेशा साथ रहता हूँ तेरे
तू कभी मुझसे जुदा होता नहीं


एक इक पल बोझ-सा लगता है जब
जेब में पैसा-टका होता नहीं


सबकी आँखें पुरु कहाँ होती हैं नम
हर किसी दिल में ख़ुदा होता नहीं