31.5.10

मायावती की मालाओं के बहाने से

मायावती की मालाओं के बहाने.......

मायावती की मालाओ के बारे में काफ़ी कुछ लिखा- कहा जा रहा हैं. राजस्थान पत्रिका के २९ मई के सम्पादकीय में लिखा गया है कि उनके पास न कोई फ़ेक्ट्री, न शेयर बाज़ार में निवेश और न ही खेती-बाडी है फ़िर भी ३ साल में ३६ करोंड की कमाई. राजनीति में आने से पहले एक सरकारी स्कूल में पढाने वाली मायावती इतनी धनवान कैसे बन गई. मायावती को करोडों रूपए की दौलत की जरूरत भी क्या है राजनीति में रहने वालों के लिए जनता का स्नेह और विश्वास ही सबसे बडी पूंजी होती है.
दर असल सवर्ण और पुरुष मानसिकता वाले लोगों के गले ये बात उतर नहीं पा रही है कैसे एक दलित और वो भी स्त्री भारत के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य की मुख्यमंत्री बन गई और वो भी मात्र ५४ साल की उम्र में चौथी बार ! और अब जब मायावती कहती है वो भारत की प्रधानमंत्री क्यूं नही बन सकती ? तो इसमें गलत भी क्या हैं? और खुदा न खास्ता वो दिन भी आ जाये तो इन सवर्ण मानसिकता वालो की हालत क्या होगी. इस बात का अंदाज़ा लगा लीजिए.ऊपर जो भी आरोप लगाए गये है.. वर्तमान राजनीति के असली चहरे के मद्देनज़र सच होने बाद भी बचकाने लगते है. आज कौन ऎसा नेता है जो इन आरोपों से अछूता है. मायावती की माया सिर्फ़ यही है कि वो जो भी करती है.. सही या गलत.. ताल ठोक कर .. सब के सामने करती है. आज जब शादी- ब्याह तक में दूल्हे को नोटो की माला पहनाई जाती है तो एक मुख्यमंत्री को पहनाये जाने पर इतनी हाय- तौबा क्यूं.आज जब सब नेता मीडिया पर छाये रहते हैं वही मयावती मीडिया से कोसो दूर रहती हैं. सब को सर- मैडम कहलाने में अपनी शान दिखाई देती है वहीं मायावती खुद को "बहन" कहलवाना पसंद करती है. मयावती कलेक्टर बनना चाहती थी, मगर काशीराम ये कह्कर उन्हे राजनीति में ले आये कि ऎसे १० कलेक्टर तुम्हारे सामने सर झुकाए खडे रहेंगे. आज उनके राजनीति मे रहने से दलित खुद को ताकत वर महसूस कर रहा है. उसमे विश्वास जगा है. और यही कारण है कि दलित उन्हे भगवान की तरह पूजता है
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4 टिप्‍पणियां:

माधव( Madhav) ने कहा…

i am agree with you. maya is the future of India . she is acting like Indira Gandhi

सुनील गज्जाणी ने कहा…

पुरु जी ,
ये एक सोचनीय विषय है हर कोई जनता है मगर चुप है , इस विषय में मेरा मन्ना है की अगर ज़ल्द ही अमीर बनना हो तो राजनीति में घुस जाओ . अभी कुछ दिनों पहले अख़बार में एक सर्वे आया की अमेरिका के रास्त्र पति श्री बोरक ओबामा अमेरिका के पिछले पांच दशक के रास्त्र पतियों में सम्पति के मामले में सबसे गरीब है , जब की भारत में पहले बार बना विधायक अगले चुनाव में अपनी सम्पति दुगुनी का स्वामी बन जाता है ये अंतर दो देशों में क्यूँ है इतना शायद कहने की ज़रूरत नहीं है यहाँ राजनीती सेवा के लिए पासा प्राप्त करने के लिए की जाती है , पुरु मालव साब हम चिंतन कर सकते है मगर कुर्सी के पुजारी अपना सोचते है जब की पडोसी की भी नहीं सोचते , होते भी है तो धुनते रह जाओगे , मैं माफ़ी चाहुगा की प्रतिक्रिया देने के बजाय अपनी बात कहने लगा ,आप के चिंतन को नमन !
सादर

बेनामी ने कहा…

यही सोच देश को डुबो रही है क्योकि सभी ऐसा सोचते हैं कि जब दूसरे भ्रष्ट नेता ऐसा कर रहे हैं तो इस ने भी अगर वही किया तो गलत क्या है..??...इसी तरह वोट डालते समय भी हम यह सोचते है कि कौन कम भ्रष्ट है......उसे ही वोट देदें। लेकिन ऐसा कर के हम देश को कहाँ पहुँचाते जा रहे हैं...??...आज कितने नेता ऐसे होगें जिन की छवी साफ होगी?? रही बात किसी एक समुदाय द्वारा भगवान की तरह पूजने की तो भाई इसी अंधी आस्था ने ही तो देश का यह हाल कर दिया है....

Unknown ने कहा…

bilkul sahi kaha apne....jane ye mansikta kb badlagi or kb desh ko sachche rajneta milenge..jaha desh ki garib janta roti ke ek nivale ke liye bi taras rahi h..waha ke neta crore rupey ki mala apne gale mein saja rhe h..ye desh ka durbhagya hi toh h...apka chintan vicharniye h...isko mera naman h...