16.12.10

मैं कब ( लघु कविता)

मैं कब

जी पाई

जीवन अपना

मां - बाप

सास - ससुर

पति

बेटे - बहुओं

पोते - पोतियों

के लिए

जीते - जीते ही

बुढा गई हूं

शायद परजन्म में

पुरुष रूप में

जी सकूं

जीवन अपना


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